बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को रतन टाटा और टाटा संस के अन्य निदेशकों के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
टाटा के खिलाफ नुस्ली वाडिया ने 2016 में यह याचिका दायर की थी।
जस्टिस मृदुला भाटकर की बेंच ने 18 मार्च के आदेश को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत मजिस्ट्रेट की अदालत में मामले की सुनवाई पर 27 मार्च तक रोक लगाई गई थी।
अदालत टाटा और अन्य निदेशकों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने एफआईआर और चार्जशीट को खारिज किए जाने की मांग की है।
टाटा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मुकदमे की सुनवाई पर लगी रोक पर स्थगन बढ़ाए जाने की मांग की थी। जस्टिस भाटकर ने कहा कि मजिस्ट्रेट की अदालत में मामले की सुनवाई जुलाई में होनी है और हाई कोर्ट इस मामले को जुलाई से पहले सुनेगा, इसलिए इस पर रोक लगाने की कोई जरूरत नहीं है।
दिसंबर 2018 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने रतन टाटा और टाटा संस के अन्य निदेशकों के खिलाफ वाडिया की तरफ से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था।
वाडिया ने दावा किया था कि टाटा और अन्य ने उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिए थे, जिससे उनकी मानहानि हुई। वाडिया इंडियन होटल्स कंपनी, टीसीएस, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील समेत अन्य कंपनियों में स्वतंत्र निदेशक थे।