जालंधर: सिविल अस्पताल में डीएनबी मेडिकल की चार सीटों के बाद सर्जरी की चार सीटों की मान्यता लेने के लिए की टीम इंस्पेक्शन के लिए पहुंची। शिमला से आए डॉ. डीके वर्मा की सख्ती और गहन जांच से सामने आई खामियों के चलते डीएनबी सर्जरी की चार सीटें फिलहाल दांव पर लग गई हैं। डॉ. वर्मा ने जांच के दौरान एक के बाद एक सवाल किए और स्टाफ व डॉक्टर बगले झांकते दिखे।
उन्होंने विभाग के रिकाॅर्ड की गहनता से जांच पड़ताल कर खामियां उजागर कीं। डॉ. वर्मा ने सबसे पहले सिविल अस्पताल के नर्सिंग स्कूल में पहुंचे, जहां डॉक्टरों के साथ बैठक करने के बाद जांच पड़ताल शुरू की। इसमें सर्जिकल वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, गायनी, पीडियाट्रिक, इमरजेंसी, ट्रॉमा, वार्ड, ओपीडी वार्ड, डीएनबी क्लासरूम, ऑडिटोरियम, रसोई व मेस, श्री गुरु राम दास लंगर सेवा, आईसीयू, रेडियोलॉजी, एमआरडी सेक्शन,बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, ब्लड बैंक और लैबोरेट्रीज का दौरा कर एक एक प्वाइंट की गहन जांच पड़ताल की। इसके अलावा सर्जरी विभाग के कागजों में दर्ज स्टाफ की फिजिकली जांच की।
उधर, सिविल अस्पताल की एमएस डॉ. जसमीत कौर बावा ने बताया कि मेडिसिन की तरह सर्जरी विभाग की जांच भी अच्छी रही है। अस्पताल को चार सीटें मिलने का पूरा भरोसा है। अस्पताल के सर्जरी विंग में एडवांस लेप्रोस्कोप, हार्मोनिक सेट के अलावा आधुनिक उपकरणों की सुविधा है। मौके पर उनके साथ पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केएस बावा, डॉ. रमन शर्मा, डॉ. चन्नजीव, डॉ. सतिंदर बजाज, डॉ. परमजीत सिंह, डॉ. कुलविंदर कौर, डॉ. गगनदीप सिंह, डॉ. राजीव शर्मा व के अलावा स्टाफ के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
13 लाख रुपये सलाना आमदनी होगी
पिछले साल सिविल अस्पताल ने एनबीआई से डीएनबी की 16 सीटों के लिए आवेदन किया था। जिसमें मेडिसिन, सर्जरी, गायनी और एनेस्थीसिया की 4-4 सीटें शामिल हैं। डीएनबी करने वाले डॉक्टर एमबीबीएस होंगे और वह अगले तीन साल तक सिविल अस्पताल में डीएनबी कोर्स करेंगे। इसके चलते अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी भी पूरी होगी। सिविल में 85 के करीब डॉक्टर हैं। सिविल अस्पताल को 16 सीटें मिलने के बाद सिविल अस्पताल को हर साल इससे 13 लाख रुपये की आमदनी होगी।