राजस्व विभाग ने ट्रांसपोर्टर्स के साथ परामर्श के बाद ई-वे बिल, फास्टैग और डीएमआईसी के लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) सेवाओं को एकीकृत करने के लिए एक अधिकारी समिति का गठन किया है। अधिकारी ने बताया, “यह बात हमारी जानकारी में आई है कि कुछ ट्रांसपोर्टर्स काफी सारे फेरे लगा रहे हैं और एक ही बिल बनवा रहे हैं। ई-वे बिल को फास्टैग के साथ इंटीग्रेट करने से व्हीकल की लोकेशन को ट्रैक करना आसान होगा साथ ही यह भी जानना कि कब और कितनी बार ट्रांसपोर्टर्स ने एनएचएआई के टोल प्लाजा को क्रॉस किया है।” अधिकारी ने बताया कि इस इंटीग्रेटेड सिस्टम को अखिल भारतीय स्तर पर अप्रैल से लागू किए जाने की योजना है।
कर्नाटक में इंटीग्रेटेड सिस्टम को पायलट आधार पर कार्यान्वित किया जा रहा है और राष्ट्रीय स्तर पर इसका इंटीग्रेशन सामानों की आवाजाही को ट्रैक करने और यह ट्रैक करने कि ई-वे बिल उचित अवधि के लिए जायज तरीके से जेनरेट किया गया है या नहीं। अधिकारी ने बताया, “अधिकारी समिति सभी हितधारकों को इसके लाभ बताएगी।” उन्होंने कहा कि इस कदम से देश के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में परिचालन क्षमता में भी सुधार होगा।